*उत्तर प्रदेश नोएडा में 3 घंटे की रेकी के बाद 5 सेकेंड में गायब कर देते सामान, पुलिस के लिए सिरदर्द बने ‘ठक-ठक’ गिरोह पर सैकड़ों केस हैं दर्ज*
उत्तर प्रदेश संवाददाता खुशरंग हीना
नोएडा: बीते दो माह से नोएडा पुलिस के लिए सिर दर्द बने ठक-ठक गिरोह के 4 बदमाशों मंगलवार को सेक्टर-39 कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किए गए बदमाशों की पहचान विग्नेश, संजय उर्फ माइकल, अमित कुमार और विक्रम के रूप में हुई है।इन आरोपियों के पास से चोरी के 27 लैपटॉप, गुलेल, घटना में इस्तेमाल बाइक और गुलेल बरामद की गई हैं।
*चोरी के बाद आराम से बेच दिए जाते थे लैपटॉप*
आरोपियों की गिरफ्तारी पर डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि यह गैंग चेन्नई का है। गैंग बाजार और भीड़भाड़ वाली जगहों पर गाड़ियों के शीशे तोड़कर लैपटॉप और अन्य सामान की चोरी करता था। चोरी किए गए लैपटॉप को माइकल की पत्नी सिमरन, राजेश, शशि, विशाल दिल्ली के अलग-अलग बाजारों में जाकर बेंच देते थे। लंबे समय से इन आरोपितों की तलाश में पुलिस टीम लगी हुई थी।
*तीन घंटे की रेकी के बाद 5 सेकेंड में हो जाती चोरी*
बताया गया कि आरोपित किराए का फ्लैट लेकर दिल्ली के उत्तम नगर में रह रहे थे। दिल्ली पुलिस के द्वारा गिरोह के ही सदस्य राहुल के खिलाफ मकोका अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा चुकी है। बदमाश बड़े आराम से स्कूटी से निकलते थे और रेकी के बाद इनके द्वारा वारदातों को अंजाम दिया जाता था। इनके खिलाफ चार सौ से अधिक केस दर्ज हैं। आरोपियों ने बताया कि कभी नोएडा तो कभी गाजियाबाद में तो कभी कही और जाकर चोरी करते। पहले तीन घंटे वह रेकी करते और उसके बाद जगह तय होने पर चोरी करते। इसके लिए एक स्कूटी सवार आगे चलता और पीछे से दूसरे स्कूटी पर बैठे बदमाश शाम छह से सात बजे के बीच 3-5 सेकेंड में कार का शीशा तोड़कर चोरी की घटना को अंजाम देते। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने हवाई जहाज से चेन्नई जाकर वहां भी कारों के शीशे तोड़कर लैपटॉप चोरी किए। इसी के साथ वह तमाम जगहों पर जाकर मौज मस्ती करते और फिर वहां भी चोरी करते। इसमें मनाली, ऋषिकेश जैसी जगह भी शामलि हैं। उन्होंने हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी कई घटनाओं को अंजाम दिया।
*वाराणसी को ‘भिखारी मुक्त’ बनाने के लिए शुरू किया गया विशेष अभियान, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों से की जा रही अपील*
शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन ‘भिक्षावृत्ति मुक्त काशी’ नाम से विशेष अभियान शुरू कर दी है। मामले को लेकर जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने बताया कि हम काशी में सक्रिय भिखारियों को तीन श्रेणियों ने पहचान कर भिक्षावृत्ति को समाप्त करने की रणनीति के साथ काम कर रहे हैं।इस दौरान दशाश्वमेध घाट, संकट मोचन समेत अन्य मंदिरों, शहर की सड़क और चौराहों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
*तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से की जा रही भीख न देने की अपील*
जिलाधिकारी ने बताया कि एक अभियान जिला प्रशासन की ओर से समाज कल्याण संगठन, वाराणसी नगर निगम और पुलिस के सहयोग से चलाया जा रहा है। इस कड़ी में मानव अधिकारों और उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1975 के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए निर्देश भी शुरू कर दिया है। इसके तहत पहली श्रेणी में निराश्रितों को रखा गया है। इसके बाद भीख मांगने में संलिप्त संगठित रैकेट के सदस्य और गरीब लोगों को रखा गया है। यह लोग आजीविका कमाने के लिए कई गतिविधियों ने लगे रहते हैं। यह लोग विशेष अवसरों पर भीख मांगने के लिए मंदिर शहर में आते हैं। अभियान के तहत पहले चरण में भीख मांगने वाले लोगों की काउंसलिंग शुरू की जाएगी। इस दौरान तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और अन्य जगहों पर लोगों से अपील की जा रही है कि भिखारियों को भीख न दी जाए।
*भिखारी के रेस्क्यू के लिए गठित की गई टीम*
अभियान के अगले चरण में काउंसलिंग के बावजूद भीख मांगने वाले लोगों को छुड़ाया जाएगा और उनका पुनर्वास किया जाएगा। कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में आने वाले पर्यटकों की शिकायत थी कि और यहां पर भिखारियों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। हालांकि अब सिर्फ 1-2 घाट पर ही भिखारी दिखाई देते हैं। हालांकि इस बीच अपराधियों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है। कमिश्नर ने कहा कि काशी को अब भिक्षावृत्ति से मुक्त कराना है जिसको लेकर जिला प्रशासन के साथ रणनीति बनाकर भिखारियों को रेस्क्यू करने के लिए टीम गठित की गई है।
उत्तर प्रदेश नोएडा में 3 घंटे की रेकी के बाद 5 सेकेंड में गायब कर देते सामान, पुलिस के लिए सिरदर्द बने ‘ठक-ठक’ गिरोह पर सैकड़ों केस हैं दर्ज*
