केवीके गुंता में मनाया आईसीएआर का स्थापना दिवस

केवीके गुंता में मनाया आईसीएआर का स्थापना दिवस

*मरुधर हिन्द/ हवासिंह चौधरी*

मुंडावर। सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर के प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित गुंता स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली का 94 वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर भा.कृ. अनु.प. के मुख्यालय नई दिल्ली पर आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किसानों की आमदनी दोगुनी करने में भागीदार किसानों व अन्य किसानों व को दिखाया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि परिषद ने पिछले एक  वर्ष में बागवानी की 109 नई किस्में, 29 पंजीकृत तकनीकियां, खाद्य प्रसंस्करण के तहत 9 नई मूल्य संवर्धन तकनीकिया व कृषि शिक्षा में परिषद के बढ़ते कदमों का उल्लेख किया। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उन्नत कृषि बीज व पौध उपलब्धता बढ़ाने पर जोर देते हुए देश को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया। केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने स्थानीय कृषि  प्रजातियों व तकनीकों पर वैज्ञानिकों से कार्य कर वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध करने का आह्वान किया। इस मौके पर 75000 किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बुकलेट का विमोचन किया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आय में हुई वृद्धि के भागीदार सभी 75 हजार किसानों से कृषि विज्ञान केंद्रों को विचार-विमर्श कर आगे बढ़ने का आह्वान किया। तोमर ने जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिकों से काम कर खाद्यान्न में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया व स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाने का भी आवाह्न किया। कार्यक्रम के अंत में परिषद के वैज्ञानिकों, अनुसंधान संस्थाओं, व कृषि विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट कार्यो के लिए पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम को कृषि विज्ञान केंद्र सबसे वैज्ञानिक बजरंग लाल ओला ने संबोधित करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र गुंता व क्षेत्र के विभिन्न गांव जैसे बाबरिया, डालू सिंह की ढाणी, बिलाट, शाहपुर एवं गुंता,खोहरी, लालावाली की ढाणी में विभिन्न फसलों के अनेक प्रदर्शन लगाए गए तथा उन किसान भाइयों की आय दुगनी की सफलता की कहानियां लिखी गई। किसान भाइयों के 2016-2017 का आधार वर्ष एवं 2020-21 का अंतिम वर्ष के फसल उत्पादन आंकड़ों में अंतर विश्लेषण किया गया पाया कि किसान भाइयों द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्नत कृषि तकनीकी अपनाकर जैसे- उन्नत बीजों का प्रयोग,अनावशक जुताई कम करना, बीज उपचार, समय पर बुवाई करना, उन्नत बीजों का प्रयोग, समय पर निराई गुड़ाई, खरपतवार प्रबंधनएवं मृदा जाॅच के आधार पर उर्वरकों के प्रयोंग कारण प्रति हेक्टेयर लागत में कमी देखी गई, एवंअधिक उत्पादन मिला जिसके कारण किसानों की शुध्दआय में इजाफा हुआ। अंतर विश्लेषण करने पर पाया कि किसान भाई की दुगनी से ज्यादा आय प्राप्त हुई क्योकि किसान भाई उन्नत कृषि तकनीकी अपनाकर के उसकी लागत में 25 से 30 प्रतिशत की कमी देखी गई तथा साथ ही साथ फसल उत्पादन में 30 से 40 प्रतिशत बढ़ोतरी होने पर किसान की आय लगभग दुगनी प्राप्त हुई इसका मुख्य कारण किसानो को न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्वि का भी बहुत बड़ा योगदान देखा गया। केंद्र की पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के तहत चुने गए किसानों को सबसे पहले आधार रेखा के सर्वेक्षण में पाये गए कमीयों जैसेकि पौध सुरक्षा के उपायों को वैज्ञानिक तरीके से नहीं करना  जैसे कि फफूंद नाशक व कीटनाशकों को एक साथ मिलाकर छिड़काव करना, मिश्रण के गलत तरीके, खरपतवारनाशक के छिड़काव के पश्चात छिड़काव की गई मशीन की अच्छी तरह से सफाई नहीं करना कीट व रोगों को पहचानने में असमर्थ,कीट व रोगों से बचाव के लिए हमेशा कीटनाशकों पर निर्भर रहना , कीट व रोगों से बचाव के अन्यतरीके जैसे भौतिक विधि, परंपरागत, यांत्रिक विधि जैसे फेरोमोन ट्रैप एवं चिपचिपा कार्ड लगाना और वनस्पतिक या जैविक कीटनाशकों को नहीं अपनाना इतयादि खेती को उच्च लागत की ओर ले जाता है जिसके परिणाम स्वरूप आमदनी कम होती है। किसान बाजरा ग्वार गेहूं और सरसों ही लेते थे इस क्षेत्र,कन्द्रे की स्थापना के बाद केवीके ने किसानो को प्रशिक्षण के दौरान कीटनाशकों के अनुप्रयोग के बारे में भी बताया व अन्य तरीके जैसे कि ग्रीष्मकालीन में खेतों की गहरी जुताई, फसल चक्र, अंतःफसल, फेरोमोन ट्रैप पीला/नीला कार्ड खेतों में लगाना, नीम तेल के प्रयोग एवं ट्राइकोडरमा व सूडोमोनास इत्यादि के उपयोग को भी बताया। इसके साथ ही किसानों को मशरूम उत्पादन तकनीक के बारे में भी बताया जिससे कि किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। बाजरा,गवार, कपास, सरसों, गेहूं और सब्जियों की फसलें जैसे टमाटर गाजर लोकी में पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा में व विधि अपनाकर एवं एकीकृत कीट और रोग प्रबंधन करके फसल उत्पादन में 7.29 से 80 प्रतिशत तक बढ़ाया,साथ ही यह  बढ़वार 100 प्रतिशत तक भी देखा गया है खासकर नई फसलों को अपनाकर जैसे मशरुम उत्पादन एवं सब्जी के उत्पादन करके। आधार वर्ष 2016-17 की तुलना मैं वर्ष 2020-21 आमदनी में  100 से 207 प्रतिशत तक हुई। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि पशुओं से अधिक उत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं की आवश्यकता होती है इसलिए किसानों को पशु से अधिक उत्पादन मिले जिसके लिए उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले नर पशु से प्रजनन कर उच्च गुणवत्ता वाली नस्लों को प्राप्त करने के लिए सलाह दी गई जो कि किसानों की आय को दोगुना करने में सहायक सिद्ध हुई। पशुओं से उनकी क्षमता के अनुसार अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए आहार प्रबंधन का अहम योगदान है इसके लिए किसानों को पशुओं के लिए संतुलित आहार उपलब्ध कराने का प्रशिक्षण दिया गया जिसमें उन्हें बताया गया कि पशुओं की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों  का समावेश होना चाहिए संतुलित आहार में पशुओं के लिए हरा चारा सूखा चारा एवं दाना तीनों प्रकार के आहार खिलाना चाहिए संतुलित आहार प्रबंधन में पशुओं से अधिक उत्पादन के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त किया जा सकता है। पशुओं  से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य होना बहुत ही आवश्यक है यदि पशु बीमार पड़ता है तो किसान को दोहरा नुकसान होता है क्योंकि उस समय पशु का उत्पादन भी घट जाता है और उसके इलाज पर भी खर्च करना पड़ता है, इसलिए किसानों को पशुओं को समय पर कृमि नाशक दवाई खिलाना, टीकाकरण करवाना एवं उनके स्वास्थ्य का उचित प्रबंधन करना विभिन्न प्रशिक्षण के माध्यम से सिखाया गया, जो उनकी आय को दोगुना करने में सहायक सिद्ध हुआ। किसानों को छोटे पशु जैसे बकरी पालन करने की का प्रशिक्षण दिया गया बकरी पालन में किसान कम खर्च में अच्छे आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को बैकयार्ड मुर्गी पालन पर भी प्रशिक्षण दिए गए, जिसमें उन्हें बीमारियों का प्रबंधन आहार प्रबंधन एवं मार्केटिंग के बारे में भी बताया गया और यह भी किसानों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुई। इस प्रकार किसानों ने पशुपालन में प्रबंधन एवं विविधता को अपनाकर अपनी आय को दोगुना किया है इन तकनीकों को अपनाने के बाद किसानों की आय 2 गुना से लेकर 4 गुना तक बढ़ गई है। केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. प्रेम चन्द गढ़वाल ने कहा कि किसानों की आय बागवानी द्वारा दोगुनी करने हेतु 20 किसानों का चयन कर उनको उन्नत तकनीको जैसे मेड़ पर सब्जियों की खेती करना विशेषकर गाजर, प्याज व फूलगोभी मे। टमाटर व छप्पन कद्दू में लो टनल तकनीक व उन्नत कृषि आदान के प्रयोग से इस हम लक्ष्य को पा सके। जिसका आंकलन 2020-21 में करने पर पाया गया कि बागवानी के विभिन्न आयामों से फसल विविधीकरण से जहां सब्जी फसलों का जिले में क्षेत्रफल बढ़ा, वही उत्पादन भी लगभग डेढ़ सौ क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर एक सौ अस्सी क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो गया। प्रशिक्षणों के माध्यम से सब्जी फसलों में अनावश्यक व अंधाधुंध उर्वरक प्रयोग को कम करने की कोशिश की गई, जिससे समुचित उत्पादन लागत लगी। वही बाजार भाव अच्छा मिलने से भी बागवानी की फसलों जैसे मिर्च, टमाटर, प्याज, गाजर, तरबूज, घिया इत्यादि से किसानों की आय में 1.5  से 4 गुना तक बढ़ोतरी देखी गई।