पंजाब पुलिस का बड़ा बयान आधुनिक वाहनों में घूमते हैं गैंगस्टर और तस्कर, बोलेरो में पीछा नहीं कर पा रही सीमांत जिलों की पुलिस

पंजाब पुलिस का बड़ा बयान आधुनिक वाहनों में घूमते हैं गैंगस्टर और तस्कर, बोलेरो में पीछा नहीं कर पा रही सीमांत जिलों की पुलिस

अमृतसर संवाददाता पंकज हस्तीर

जाब के सीमावर्ती जिलों में गैंगस्टरों और तस्करों से निपटना पंजाब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। आधुनिक तकनीक ही नहीं वाहनों के मामले में भी पुलिस गैंगस्टरों से कमजोर पड़ रही है।

एक तरफ जहां अपराधियों के पास हाईटेक वाहन हैं तो वहीं इन जिलों के थानों के पास मात्र एक बोलेरो है। पुलिस की गाड़ियों की स्पीड भी 80 से ऊपर नहीं जाती है। ऐसे में अपराधियों से मुकाबला ही नहीं किया जा सकता है। यह जानकारी विधानसभा की गृह व न्याय विभाग की कमेटी की रिपोर्ट में आई है। वहीं, कमेटी ने अब सभी थानों को कम से कम चार गाड़ियां देने की सिफारिश की है ताकि इस स्थिति से निपटा जा सके। इस बार बजट में सीमावर्ती एरिया पर स्पेशल फोकस रखा गया है।

पड़ोसी देश हेरोइन और हथियारों की तस्करी के लिए पंजाब से सटी 553 किलोमीटर की सीमा को सॉफ्ट टारगेट बना रहा है। राज्य के छह जिले फाजिल्का, फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर व पठानकोट सीधे पाकिस्तान से लगते हैं। इसके अलावा दो जिलों की सीमा राजस्थान, छह की हरियाणा, तीन की हिमाचल व एक की जम्मू-कश्मीर से लगती है। रिपोर्ट में कहा गया कि नशा तस्करी की वजह से पंजाब का नाम बदनाम होता है, जबकि पंजाब में नशा बाहरी राज्यों से आता है। इनमें हरियाणा का जिक्र है। ऐसे में बोलेरो से निपटना मुश्किल है।

विधानसभा कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले को उन्होंने सरकार के समक्ष उठाया है। साथ ही इस दिशा में सरकार ने पैसा खर्च करने की व्यवस्था करने का दावा है। साथ ही कहा कि चार-चार गाड़ियां थानों में पहुंचाने की दिशा में काम शुरू किया है। 12 से 13 करोड़ का प्रपोजल इसमें भेजा गया है।

इस बार पंजाब सरकार ने अपने सीमावर्ती जिलों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 40 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है। इस पैसे का अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, रोशनी का प्रबंध करने व आने-जाने के लिए वाहन आदि खरीदने के लिए प्रयोग किया जाएगा।

अधिकारियों के लिए गाड़ियां पड़ गईं कम
गपुलिस विभाग में अब अधिकारियों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में सभी को बाई नेम गाड़ी अलॉट करना संभव नहीं है। विभाग में एसपी रैंक से ऊपर के अधिकारियों को बाई नेम गाड़ी देने का प्रावधान है। इसके पीछे कोशिश यह होती है कि वह गाड़ी को अच्छे से मेंटेंन रखेंगे। डीएसपी स्तर के अधिकारियों की संख्या भी काफी अधिक हो गई है। पुलिस विभाग को पांच से छह हजार गाड़ियां सेंक्शन हैं। वहीं, कमेटी ने सिफारिश की है कि जो भी वाहन थानों में खड़े हैं अगर उनके मामले कोर्ट से निपट चुके हैं तो उन्हें तुरंत बेचा जाए। इससे सरकार को आमदनी होगी।

जब भी पाक सेना प्रमुख बदलता है तो बढ़ जाते हैं केस
पंजाब पुलिस के सीनियर अधिकारी भी इस बात को मानते हैं कि जब भी पाकिस्तान में सेना प्रमुख बदलता है तो पंजाब में आतंकी घटनाएं बढ़ जाती हैं। गत कुछ समय में भी ऐसा हुआ है। दिसंबर में तरनतारन थाने पर आरपीजी हमला हुआ। इसके अलावा कई आतंकी पकड़े गए हैं। 30 से ज्यादा ड्रोन गिराए गए हैं। इसके अलावा कई आतंकी पकड़े हैं।