जजों की सहूलियतें कई गुना बढ़ीं, वकील छोटी-छोटी चीजों को तरस रहे, CJI चंद्रचूड़ को विकास सिंह ने चिट्ठी लिख बयां किया दर्द*

*जजों की सहूलियतें कई गुना बढ़ीं, वकील छोटी-छोटी चीजों को तरस रहे, CJI चंद्रचूड़ को विकास सिंह ने चिट्ठी लिख बयां किया दर्द*

नई दिल्ली संवाददाता संगीता गौड़
सुप्रीम कोर्ट की जमीन को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ SCBA का विवाद फिलहाल थम गया है। स्पेशल बेंच ने जमीन मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला भी रिजर्व कर लिया है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रधान विकास सिंह ने सीजेआई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिख अपना दर्द बयां किया है।उनका कहना है कि समय के साथ जज बढ़े तो वकील भी। लेकिन जजों की सुविधा कई गुना बढ़ीं तो वकीलों को कुछ नहीं मिला।

बार के लिए बेहद छोटा और गंदा सा भोजन कक्ष

विकास सिंह ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट की बुनियादी ढांचा विकसित करने वाली स्थाई समिति में बार को प्रतिनिधित्व दिया जाए। सीजेआई को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि समय के साथ जजों और रजिस्ट्री के लिए बुनियादी ढांचे में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन एसीबीए सदस्यों के उपयोग के लिए बुनियादी ढांचे में उस अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है। चिट्ठी में कहा गया है कि बार के लिए बेहद छोटा और गंदा सा भोजन कक्ष है। अदालतों के आसपास वकीलों के लिए वेटिंग रूम भी नहीं है। इसी कारण वकील अदालतों में जमा हो जाते हैं। इससे वहां भीड़ बढ़ती है।

सुप्रीम कोर्ट के बुनियादी ढांचा विकास से जुड़ी पांच सदस्यीय 'बिल्डिंग एंड प्रिसिंट सुपरवाइजरी कमेटी' में फिलहाल जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस बीवी नागरत्न शामिल हैं। विकास सिंह ने इसमें वकीलों की हिस्सेदारी मांगी है

*मैं कानून मंत्री के साथ उलझना नहीं चाहता. कॉलेजियम सिस्टम विवाद पर CJI ने दिया ये बयान*

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज यानी शानिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव, 2023 एक कार्यक्रम में कई विषयों पर अपना रुख रखा.उन्होंने कहा कि एक जज के रूप में 23 साल से कार्य कर रहा हूं. इतने लंबे कार्यकाल में किसी भी फैसले में दबाव का सामना नहीं किया. उन्होंने ये भी कहा कि मुझे यह नहीं बताया कि केस का निर्णय कैसे करना है. उन्होंने कहा कि हम कभी अपने साथी जज से भी ये सवाल नहीं करते कि वह किसी केस की सुनवाई में क्या निर्णय कर रहे हैं. उन्होंने कॉफी पीते हैं, खाना भी खाते है. हमनें अपने लिए एक स्पष्ट लाइन खींच रखी हैं. और यही हमारी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा है. न्यायपालिका पर सरकार के दबाव के प्रश्न पर CGI ने कहा कि कोई दबाव नहीं है. इस मामले को साबित करने के लिए उन्होंने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले का हवाला दिया. CGI ने कहा कि दबाव की बात पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा इलेक्शन कमीशन वाला जजमेंट देखा, अगर दबाव होता, तो ये फैसला आता? न्यायपालिका राजनीतिक गिरोह का हिस्सा नहीं हैं

उन्होंने आगे कहा कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां सार्वजनिक संस्थानों के प्रति अपना विश्वास खोते जा रहे हैं. सीजिओई ने कहा कि कानून मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम प्रणाली को लेकर काफी मुखर रहे हैं. कानून मंत्री ने कहा था कि कुछ न्यायधीश ऐसे जो विपक्ष की तरह न्यायपालिका को सरकार के खिलाफ करने का प्रयास कर रहे है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका किसी समूह या राजनीतिक गिरोह का हिस्सा नहीं हैं.

*200 दिन कोर्ट में बैठते है जज*

जजों की कार्यप्रणाली और छुट्टियों के सवाल पर CGI ने कहा कि हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट का जज साल में 200 दिन कोर्ट में बैठते है. बाकी दिन हमारे कानून को पढ़ने और मामलों के बारे में सोचने में बीत जाता था.