*अपर सचिव राजस्व विभाग व पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध शाखा रीवा एवं कलेक्टर सिंगरौली से बेगुनाह पटवारी को न्याय दिलाने की पटवारी पुत्र ने लगाई गुहार*
*किसी स्वतंत्र एजेंसी अथवा प्रदेश स्तरीय टीम के माध्यम से उक्त मामले की कराई जाए निष्पक्ष जांच-अनुरोध*
संवाददाता
सिंगरौली/- अपर सचिव राजस्व विभाग व पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध शाखा रीवा एवं कलेक्टर सिंगरौली से बेगुनाह पटवारी हरिशंकर शुक्ला को न्याय दिलाने के लिए पटवारी पुत्र पत्रकार अनुरोध शुक्ला ने आवेदन देकर पत्राचार के माध्यम से गुहार लगाया है।वहीं उन्होंने बताया कि मेरे पिता हरिशंकर शुक्ला जोकि बतौर पटवारी सिंगरौली जिले में पदस्थ थे।वहीं उनको भू-माफिया,भ्रष्ट राजस्व कर्मचारियों सहित कुछ अन्य अफसरों द्वारा षड्यंत्र पूर्वक मिली भगत कर सेवा से पृथक करवा दिया गया था।जिसके कारण आज भी हमारे गांव एवं क्षेत्र में उनको सामाजिक उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।यहां तक कि उनको सेवा से पृथक पटवारी कहकर पुकारे जाने के कारण मेरा परिवार अपमानित होने का दंश झेल रहा है।उन्होंने बताया कि स्वयं को झूठे प्रकरण में फसायें जाने के बाद मेरे पिता ने न्याय के आस में मानसिक व शारीरक बीमारियों के बावजूद लगभग 10 वर्षों तक माननीय हाईकोर्ट जबलपुर में बार बार चक्कर लगाते व वकीलों की फीस भरते भरते थक चुके हैं।जबकि जिन लोगों द्वारा वास्तव में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमिता किया गया है वही मेरे पिता को उसका विरोध करने पर भ्रष्टाचारियों ने षड्यंत्र रचकर सेवा से उन्हें पृथक करवा दिया।और वह आज भी मलाई काट रहे हैं।इतना ही नहीं बल्कि हैरानी की बात तो यह है कि वो आज भी संगीन अपराधो में दोषी होने के बावजूद सेवा में पदस्थ हैं और हर संभव तरीके से सबूतों से छेड़छाड़ करते हुए अपने आप को दोषमुक्त करने में लगे हुए हैं।आगे पत्रकार अनुरोध शुक्ला ने बताया कि सरकारी जमीन के फर्जी बंदरबांट,फर्जी स्टाम्प का कारोबार व भू-अर्जन में असंवैधानिक तरीके से बंटवारा व फर्जी मकान व अन्य परिसंपत्तियां दर्ज करवाने के साथ ही कई अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले व्यक्ति जिनके द्वारा स्वयं को बचाने के लिए मेरे पिता को फंसाया गया,उनके नाम व कुछ बिंदुवार जानकारी मेरे द्वारा उपरोक्त उल्लेखित विभागों को आवेदन के माध्यम से उपलब्ध कराया जाकर उनके निष्पक्ष जांच हेतु निवेदन किया गया है।
उन्होंने बताया कि कुछ अधिकारीयों कर्मचारियों की मिलीभगत होने के कारण इस प्रकार से भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं।ऐसी स्थिति में सम्बंधित लोगों की भी भूमिका का निष्पक्ष जाँच किया जाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
श्री शुक्ला ने बताया कि मेरे पिता हरिशंकर शुक्ला वर्ष 2010 तक बतौर हल्का पटवारी पुरैल तहसील देवसर जिला सिंगरौली में पदस्थ थे,उनका स्थानांतरण वर्ष 2010 में पुरैल हल्का से सिंगरौली तहसील के मझौलीपाठ हल्का के लिए हो गया था,उनके द्वारा पुरैल हल्का का चार्ज प्रभार 21 जुलाई 2010 को श्री ब्रहस्पति वर्मा को समस्त रिकार्ड का परीक्षण कराने के बाद सौंप दिया गया।इसके बाद श्री ब्रहस्पति वर्मा पुरैल का जो हमारे पिता से चार्ज लिए थे वह 3 माह बाद जब श्री ओमप्रकाश अहिरवार बतौर हल्का पटवारी पुरैल में नियुक्त हुए तो उन्हें चार्ज बृहस्पति वर्मा के द्वारा दिया गया।तत्पश्चात सिंगरौली जिले में सक्रिय भू-माफिया गिरोह ने पुरैल हल्के में मध्यप्रदेश शासन की भूमि को भूमि स्वामी सत्व जिले के रिकार्ड व तहसील के रिकार्ड रूम में दर्ज कर दिया गया।मेरे पिता जी के द्वारा पूर्व में भी मुझे बताया गया था की उनके द्वारा राजस्व रिकार्डों में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है एवं कुछ लोग उनको फंसाने की साज़िश कर रहे हैं।इसका उल्लेख भी उन्होंने दिनांक 28/06/22 के शपथ-पत्र किया है। जिसमें मेरे पिता द्वारा स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उनके द्वारा रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ अथवा ओवर राइटिंग नहीं की गई है,किन्तु बावजूद इसके उनके वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा उनके ऊपर मिथ्या दोष लगाकर सेवा से पृथक करा दिया गया।जबकि मेरे पिता को फंसाने वाले लोग जो इस पुरे प्रकरण में दोषी हैं वह आज भी शासकीय सेवा में हैं।मेरे पिता को सेवा से पृथक करने के लिए तैयार इस साज़िश के सन्दर्भ में मेरे द्वारा उपलब्ध सीमित संसाधनों के माध्यम से जानकारी जुटाई गई तो मुझे समझ आया की इस पुरे प्रकरण में मुख्य व्यक्ति ऑफिस कानूनगो हैं,जो वर्तमान में भी यहीं देवसर उपखंड में पदस्थ हैं।वहीं उनका पैतृक निवास उपखंड कार्यालय देवसर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित हैं,और वह वर्ष 1995 से पदस्थ हैं।उनके दिशा निर्देश में एक संगठित भू-माफिया गिरोह जिसके सदस्य भगवान दास पटवा पिता अभय राज पटवा एवं जर्रार खान,शरीफ खान (दोनों स्टांप वेंडर) एवं जिले व उपखंड के कार्यालयों में कई वर्षो से पदस्थ बाबुओं जैसे कलेक्टर रीडर व अन्य लोगों के साथ एक गैंग के रुप में कार्य करते हुए वर्ष 2005 के करीब से कई ग्रामों में कई सौ एकड़ सरकारी भूमियों पर भूमि स्वामी सत्व दर्ज कर लिया गया है।इस प्रकार से संगठित रूप से कई ग्रामों में सरकारी जमीन के हुए फर्जी बंदरबांट की जांच होने पर कई ग्रामों में बगैर किसी आदेश के फर्जी बंदोबस्त के बंदोबस्त अधिकारी द्वारा जारी आदेश का सहारा लेकर जिले के रिकॉर्ड के साथ तहसील के रिकार्डों में सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी करते हुए यह गिरोह कई सौ एकड़ की भूमि का बंदरबांट कर चुका है।उन्होंने बताया कि जिस प्रकरण में हमारे पिता जी के ऊपर आरोप लगाया गया है हमारे उसकी जांच कर रहे सक्षम जांच अधिकारियों से मेरा निवेदन है कि तहसील के अभिलेखागार की जांच में कटदहा में सम्बंधित आराजी के खसरे पर ओवर राइटिंग का आरोप मेरे पिता पर लगाया गया है किंतु उसी आराजी के जिले में रखे खसरों में भी कैसे भूस्वामी सत्व दर्ज कर दिया गया।इससे स्पष्ट होता है की रिकार्डो से हेराफेरी मेरे पिता के द्वारा नहीं बल्कि एक संगठित गिरोह द्वारा किया गया है।जिसने तहसील के साथ ही साथ जिले के रिकार्डों में भी परिवर्तन किया है।भू-माफिया गैंग द्वारा हमारे पिताजी को फंसाया गया है जिसके संबंध में हमें यह पता चल रहा है कि हमारे पिताजी के मानसिक स्थिति शुरू से ही अच्छी नहीं थी इसके कारण भू-माफिया गैंग द्वारा उन्हें बलि का बकरा बनाकर सेवा से पृथक करा दिया गया।इस गैंग के मास्टर माइंड के तौर पर जिले के प्रवाचक एवं तहसील के प्रवाचक हैं।साथ ही जर्रार खान,शरीफ खान स्टांप वेंडर एवं भगवान दास पटवा पिता अभय राज पटवा एवं तहसीलदार उपेंद्र सिंह एवं रोहिणी त्रिपाठी उपखंड अधिकारी जैसे कई अन्य सरकारी भू-माफिया तबके के लोग हैं,जिनके द्वारा जो जिले की वर्ष 2010-11 में जांच टीम गठित की गई थी उसमे हमारे पिताजी का फर्जी बयान लगाकर बयान के आधार पर सेवा से पृथक किया गया है।
संगठित भू माफिया गैंग के द्वारा जमीनों के किये गए गबन के कुछ सूक्ष्म उदाहरण ग्राम कर्री में उपेंद्र सिंह तहसीलदार एवं ऑफिस कानूनगो मुनीन्द मिश्र एवं भगवानदास पटवा द्वारा अपने भाई के नाम फर्जी पट्टा और इसी तरह ग्राम कटदहा में भी भगवानदास पटवा के साथ जर्रार खान एवं शरीफ खान के रिश्तेदारों के नाम फर्जी पट्टा जिसका मेरे पिता जी के ऊपर दोष लगाया गया है।किंतु तहसील के रखे रिकॉर्ड रूम की जानकारी एक जुलाई 2010 को ही इस गैंग को हो गई थी और हमारे पिताजी का भी कुछ गांवों का रिकॉर्ड यह गिरोह जून 2010 में ही रखा लिया था और उसमें जब तक हमारे पिताजी देवसर तहसील में थे तब तक कोई आरोप नहीं लगाया गया।पिताजी के ट्रांसफर हो जाने के बाद उन पर झूठा आरोप लगाकर की उन्हें सेवा से पृथक किया गया है,जबकि तहसील एवं जिले के रिकॉर्ड रूम में रखे रिकार्डो में भी इन गिरोह के द्वारा जो हमारे पिताजी के द्वारा लिखने का आरोप लगाया गया है उससे हमें तो आर्थिक अपराध शाखा के जांच पर भी संदेह होता है।आखिरकार आर्थिक अपराध शाखा के द्वारा जिले में रखे रिकॉर्ड रूम की जांच क्यों नहीं की गई,जिले में रखे रिकॉर्ड रूम में किसके द्वारा यह उल्लेखित किया एवं कराया गया है, और हमारे पिताजी के सरकारी अभिलेखों पर लेखन किसके द्वारा किया गया है,आखिरकार हैंडराइटिंग स्पेशलिस्ट से अभी तक परीक्षण क्यों नहीं कराया गया।इसकी भी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराकर दोषियों के ऊपर न्यायोचित कार्यवाही करने की मांग श्री शुक्ला ने किया है।
अपर सचिव राजस्व विभाग व पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध शाखा रीवा एवं कलेक्टर सिंगरौली से बेगुनाह पटवारी को न्याय दिलाने की पटवारी पुत्र ने लगाई गुहार*
