एम्स: फैफड़े को अलग कर दिल के पीछे से निकाली खराब आहार नली, पेट खोलकर लगाई कृत्रिम अहार नली
भोपाल। राजधानी के एम्स में आहारनली के कैंसर से जूझ रहे एक 48 साल के युवक की अत्यधिक जटिल सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान युवक के फैफड़े, पेट और गर्दन का आपरेशन कर कृत्रिम आहारनली लगाई गईकृत्रिम आहारनली भी बड़ी आंत से बनाई गई। जानकारी के मुताबिक भोपाल के रहने वाला एक युवक लंबे समय से आहार नली के कैंसर से जूझ रहा था। एम्स में जांच के दौरान पता चला कि युवक को स्टेज थ्री का कैंसर है और मरीज पानी तक नहीं पी पा रहा था। डॉक्टरों ने मरीज को कीमोथेरेपी की सलाह दी। कीमोथेरेपी, प्रतिदिनपांच किमी तक पैदला चलने से मरीज और स्पाईरोमेटरी एक्सरसाइज से मरीज को खासा आराम मिला। इसके बाद डॉक्टरों ने तीन स्तर का आपरेशन का कैंसर ग्रस्त आहारनली को बाहर करने का निर्णल लिया।
तीन स्तर में हुआ आपरेशन, बड़ी आंत से बनी आहारनली
सर्जरी के पहले चरण में मरीज की छाती खोलकर फैफड़े को हटाया गया। सांस लेने के लिए मरीज को एक फैफड़े पर रखा गया। साथ ही दिल के पीछे से खराब आहार नली को निकाला गया। दूसरे चरण में कृत्रिम आहारनली बनाने के लिए पेट खोला गया और बड़ी आंत से आहारनली का निर्माण किया गया। तीसरे चरण में रोगी की गर्दन का आॅपरेशन कर मूल आहारनली के साथ-साथ कृत्रिम आहारनली डाली गई। इस प्रक्रिया में केवल चार घंटे का समय लगा । मरीज को एक दिन आईसीयू में रखा गया और अगले दिन उसे वार्ड में स्थानांतरित कर और खाना खिलाना आरंभ किया गया।
सात विभागों के विशेषज्ञों की सर्जरी
इस सर्जरी में पांच विभाग के विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। छाती के आॅपरेशन के लिए कार्डिसयक थोरैसिक सर्जनी, पेट के आॅपरेशन के लिए गैस्ट्रो सर्जन और गर्दन के आपरेशन के लिए ईएनटी सर्जन की जरूरत हुई। इसके साथ ही उपचार की संपूर्ण योजना और सर्जरी के लिए एक आन्कोलॉजिस्ट के सहयोग की आवश्यकता होती है। सर्जरी से पहले और उसके दौरान एंडोस्कोपी के लिए एक मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट की आवश्यकता होती है। रोग को पूर्णतया ठीक करने के लिए रोगी को रेडियोथेरेपी का अतिरिक्त उपचार प्रदान करने के लिए योजना बनाई गई है। इस दौरान एनिस्थिसिया विशेषज्ञों ने रोगी की स्थिति पर नजर रखी।