*एम्स को नहीं मिल रहा चिकित्सा अधीक्षक, दूसरी बार निकाला आवेदन, पांच साल होगा अधिकतम कार्यकाल*
नई दिल्ली संवाददाता विशाल चावला
खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली को चिकित्सा अधीक्षक नहीं मिल रहा। हालत यह है कि एम्स को नए चिकित्सा अधीक्षक के लिए आवदेन की तारीख को बढ़ाना पड़ा। एम्स ने इस बार चिकित्सा अधीक्षक पद पर बाहर से डेपुटेशन पर एमएस को लाने का फैसला लिया है।इसके तहत उन्होंने आवेदन निकाला, लेकिन अभी तक इस पद को लेकर कोई खास रूचि नहीं दिखाई गई। पहले इस आवेदन की तारीख बढ़ाकर 24 मार्च की गई थी और अब आठ अप्रैल कर दी गई है।
बीते साल दिसंबर में अस्पताल प्रशासन ने विभाग के डा. डीके शर्मा एम्स को मुख्य अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के पद से हटा दिया था। उनके जगह पर फारेंसिक मेडिसिन के प्रोफेसर व संस्थान के रजिस्ट्रार डा. संजीव लालवानी को कार्यकारी तौर पर मुख्य अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके आद एम्स ने जनवरी में चिकित्सा अधीक्षक की नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर बाहर से एमएस नियुक्त करने फैसला लिया।
इसका कार्यकाल अधिकतम पांच साल होगा। आवेदन करने वाले को मेडिकल स्नातकोत्तर की डिग्री के साथ-साथ मेडिकल शिक्षण व शोध कार्य में 14 वर्ष के अनुभव होना चाहिए या अस्पताल प्रशासन में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ किसी बड़े अस्पताल के संचालन में सात वर्ष प्रशासनिक कामकाज का अनुभव होना चाहिए।
*आईएमए की चेतावनी : 4 अप्रैल को बंद रहेंगे जिलेभर के अस्पताल, इमरजेंसी सेवाएं भी रहेंगी बाधित*
सिरसा। राइट टू हैल्थ बिल के विरोध में आईएमए से जुड़े चिकित्सकों द्वारा 4 अप्रैल को हड़ताल करने की घोषणा की है। सुबह 6 बजे से 5 अप्रैल सुबह 6 बजे तक सभी अस्पताल बंद रहेंगे और कोई इमरजेंसी सेवाएं भी नहीं ली जाएगी।
डॉक्टरों की हड़ताल के समर्थन में सिरसा से 30 डॉक्टरों का एक दल राजस्थान रवाना होगा। उक्त फैसला आईएमए भवन में आईएमए से जुड़े चिकित्सकों की हुई बैठक में प्रधान दिनेश गिजवानी की अध्यक्षता में लिया गया।
प्रधान डाॅ. दिनेश गिजवानी ने बताया कि सरकार चिकित्सक संगठनों से बिना बातचीत किए राइट टू हैल्थ बिल लेकर आई है, जो डॉक्टर्स को किसी कीमत पर मंजूर नहीं है। देशभर में इस बिल का विरोध किया जा रहा है, बावजूद इसके सरकार बिल को वापस लेने के मुद्दे पर बातचीत से कन्नी काट रही है। सरकार इस बिल के माध्यम से प्राइवेट डॉक्टरों और हॉस्पिटल्स को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है। चिकित्सा जगत से जुड़े सभी हॉस्पिटल व चिकित्सक नियमों को ध्यान में रखकर ईमानदारी से अपना पेशा चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ और सिर्फ कमियां निकालकर चिकित्सकों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है, जिसे चिकित्सक जगत कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। चिकित्सक जगत का मकसद आमजन को परेशान करने का नहीं है, बल्कि वे अपने पेशे को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। आमजन भी उनकी इस परीक्षा की घड़ी में साथ दें और इस बिल को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाएं।
एम्स को नहीं मिल रहा चिकित्सा अधीक्षक, दूसरी बार निकाला आवेदन, पांच साल होगा अधिकतम कार्यकाल*
