दिल्ली सरकार का बड़ा दावा अगले साल मार्च तक खत्म हो जाएगा भलस्वा से कूड़े का पहाड़, CM केजरीवाल

दिल्ली सरकार का बड़ा दावा अगले साल मार्च तक खत्म हो जाएगा भलस्वा से कूड़े का पहाड़, CM केजरीवाल

नई दिल्ली संवादाता संगीता गौड

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भलस्वा लैंडफिल साइट का किया दौरा।
दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों से दिल्लीवालों को निजात दिलाने के लिए दिल्ली सरकार एक्शन मोड पर काम कर रही है।
सीएम अरविंद केजरीवाल खुद लैंडफिल साइट से कूड़े के निपटान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में सीएम ने गुरुवार को भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा किया। इस दौरान सीएम ने ऐलान किया कि अगले साल मार्च भलस्वा से कूड़े का पहाड़ खत्म हो जाएगा। मुख्यमंत्री का इस महीने ओखला लैंडफिल साइट के बाद यह दूसरा दौरा था। इस दौरान सीएम ने साइट से कूड़ा खत्म करने की प्रक्रिया को समझा और एमसीडी को दोगुनी गति काम करते हुए अगले साल मार्च-अप्रैल तक पूरा कूड़ा खत्म करने के निर्देश दिए ताकि यहां रहने वाले निवासियों को शुद्ध हवा मिल सके और दिल्ली को साफ सुथरा व सुंदर बनाया जा सके।

सीएम ने कहा कि भलस्वा से दिसंबर तक 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा उठा देंगे और मार्च-अप्रैल 2024 तक पूरा कूड़ा खत्म कर देंगे। लैंडफिल साइट्स पर पहले से अब दोगुनी गति से काम चल रहा है और जल्द ही हम दिल्ली को कूड़ा मुक्त करेंगे। इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज, एमसीडी की मेयर डॉ. शैली ओबेराय, डिप्टी मेयर आले इकबाल, एमसीडी कमिश्नर व स्थानीय विधायक समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सीएम ने कहा कि अब हम लोगों ने दिसंबर 2023 तक 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाने का लक्ष्य रखा है। हमें पूरी उम्मीद है कि अगले साल मार्च-अप्रैल तक लैंडफिल साइट पर बचा 50 लाख मीट्रिक टन कूड़े को हटा दिया जाएगा।

सीएम ने आगे कहा कि कूड़ा हटाने की पहले जो गति थी, अब उससे दोगुनी गति से काम चल रहा है। मैंने इसकी समीक्षा भी की है। पहले यहां से 6500 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन उठाया जा रहा था। लेकिन कल (बुधवार) से 9 हजार मीट्रिक टन कूड़ा उठ रहा है। वहीं, इस महीने के अंत तक कूड़ा उठाने की गति दोगुना कर दी जाएगी और करीब 12-13 हजार मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन उठना चालू हो जाएगा। साइट पर टारगेट से दोगुनी गति से कूड़ा उठाने का काम चल रहा है। हमें उम्मीद है कि दिसंबर 2023 तक भलस्वा लैंडफिल साइट से 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा उठा देंगे। इसके बाद मार्च-अप्रैल 2024 तक लैंडफिल साइट से पूरा कूड़ा खत्म कर देंगे।

पिछले 30 सालों में भलस्वा लैंडफिल बना कूड़े का पहाड़

भलस्वा लैंडफिल साइट के दौरे के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 30 सालों में भलस्वा लैंडफिल साइट एक बड़ा कूड़े का पहाड़ बन गया है। पूरी दिल्ली का कूड़ा यहां आता है। इस कूड़े के पहाड़ को हटाने का कार्य चल रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद 2019 में यहां से कूड़ा हटाया जाना शुरू हुआ। उस समय भलस्वा लैंडफिल साइट पर करीब 80 लाख मीट्रिक टन कूड़ा मौजूद था। 2019 से लेकर आजतक 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाया जा चुका है। जबकि अभी 50 लाख मीट्रिक टन साइट पर पड़ा है। लगभग दो-ढाई साल में 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाया जा सका है।

नया आने वाले कूड़े को लगातार डिस्पोज किया जा रहा है

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लैंडफिल साइट पर जो नया कूड़ा आ रहा है, उसके लिए अलग से इंतजाम किया गया है। नया आने वाले कूड़े के निपटान की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है और लगातार उसको डिस्पोज किया जा रहा है। दिल्ली में प्रतिदिन करीब 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा बनता है। उसमें से 8100 मीट्रिक टन से अधिक कूड़े के डिस्पोजल का हम लोगों के पास इंतजाम है। वहीं, करीब 2800 मीट्रिक टन कूड़ा रोजाना बच रहा है। इसके लिए ओखला में एक हजार मीट्रिक टन का अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने का काम चल रहा है।

इस कूड़े को डिस्पोज करने के लिए बवाना में दो हजार मीट्रिक टन का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बन रहा है, जो 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा। तब तक नये कूड़े को प्रतिदिन डिस्पोज करने के लिए हमने अस्थाई व्यवस्था की है। भलस्वा साइट से 10 हजार मीट्रिक प्रतिदिन लेगेसी वेस्ट उठता है और प्रतिदिन आने वाला 2 हजार मीट्रिक टन कूड़े को डिस्पोज किया जाता है। उन्होंने कहा कि कूड़ा घरों में भी सेग्रीगेशन हो सकता है। लेकिन कई घरों में सेग्रीगेशन नहीं होता है। एकदम से पूरे शहर का कल्चर बदलना संभव नहीं है। हम जो कूड़ा एकत्र करते हैं, उसको भी सेग्रीगेट करते हैं। अब वेस्ट टू एनर्जी में भी काफी कूड़ा सीधे जा सकता है।

28 साल पुरानी है भलस्वा लैंडफिल साइट

भलस्वा लैंडफिल साइट 28 साल पुरानी साइट है। यह 70 एकड़ में फैली है। इस लैंडफिल की ऊंचाई जमीन से 65 मीटर थी। जब 2019 में सर्वेक्षण किया गया, तो इसमें 80 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पाया गया। तब से साइट पर 24 लाख मीट्रिक टन नया कूड़ा डंप किया गया है और वहां 30.48 लाख मीट्रिक टन कचरे का बायोमाइनिंग किया गया है। बायोमाइनिंग के दौरान, लेगेसी वेस्ट को तीन घटकों, इनर्ट वेस्ट, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट और रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल में अलग किया जाता है। इसमें से निष्क्रिय और सीएंडडी कचरे का उपयोग दिल्ली और उसके आसपास एनएचएआई की परियोजनाओं में खाली भूमि को भरने में किया जा रहा है। अपशिष्ट व्युत्पन्न ईंधन का उपयोग सीमेंट कारखानों, बिजली संयंत्रों और प्लास्टिक पुनर्चक्रण संयंत्रों में किया जा रहा है।

दिसंबर तक साफ हो जाएगा ओखला लैंडफिल साइट से कूड़ा

इससे पहले, सीएम अरविंद केजरीवाल ने 3 मार्च को ओखला लैंडफिल साइट का दौरा कर कूड़े के निस्तारण प्रक्रिया की समीक्षा की थी। ओखला लैंडफिल साइट से कूड़े को साफ करने का लक्ष्य मई 2024 तक का रखा गया है, लेकिन सीएम ने अधिकारियों को काम में तेजी लाकर इसे दिसंबर 2023 तक साफ करने का निर्देश दिया है। ओखला लैंडफिल साइट पर करीब 40 लाख मीट्रिक टन कूड़ा है। साइट से कूड़े को खोदकर निकालने की क्षमता 17 हजार मीटिक टन प्रतिदिन है। लेकिन उसके निस्तारण करने की क्षमता करीब हजार मीटिक टन प्रतिदिन है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रतिदिन कूड़े के निस्तारण की क्षमता बढ़ाकर 15 हजार मीट्रिक टन करने का निर्देश दिया है। इस पर तेजी से काम चल रहा है और पूरी उम्मीद है कि एक जून से ओखला लैंडफिल साइट से 15 हजार मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण प्रतिदिन किया जा सकेगा।