दिल्ली में अब किसी खास विक्रेता से महंगी किताबें और वर्दी खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है निजी स्कूल, अवहेलना पर होगी सख्त कार्रवाई
नई दिल्ली संवाददाता नरेंद्र ठाकुर
दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा शनिवार को दिल्ली के सभी निजी स्कूलों को सख्त चेतावनी दी गई है। इसके तहत इन स्कूलों को कड़ी चेतावनी देते हुए यह कहा गया है कि किसी भी छात्र के माता-पिता को ये स्कूल अपने यहां या फिर किसी विशिष्ट विक्रेता से महंगी पढ़ाई के सामान या स्कूल की वर्दी को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।यही नहीं इन स्कूलों को यह भी कहा गया है कि आने वाले तीन साल तक स्कूल ड्रेस, उसके कलर व डिजाइन को भी किसी स्कूल द्वारा नहीं बदले जाना चाहिए। आपको बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली शिक्षा के बेहतर हालात के लिए अपनी पार्टी की सराहना की है, इसके साथ ही अपनी सरकार द्वारा शिक्षा में लाए गए पहलों को भी गिनाया है।
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी निर्देश में यह कहा गया है कि दिल्ली के कोई भी निजी स्कूल वहां पढ़ने वाले बच्चों के माता पिता को किसी महंगी चीज या स्कूल यूनिफार्म को खरीदने के लिए मजबूर करेंगे। यही नहीं निर्देश में यह भी कहा गया है कि ये स्कूल किसी पैरेंट्स को इस बात के लिए दबाव नहीं देंगे कि बच्चों की पढ़ाई में लगनी वाली ये चीजें इन दुकान व विशिष्ट विक्रेता से ही खरीदे। इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को सख्त चेतावनी भी दी है।
इसके अलावा निर्देश में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सभी स्कूल कम से कम तीन साल तक यूनिफॉर्म के डिजाइन, रंग या किसी अन्य विनिर्देश को न बदलें। ऐसे में आदेश के अनुसार, दिल्ली के सभी निजी स्कूलों को यह भी करना होगा कि उन्हें अपने आसपास के कम से कम पांच स्टेशनरी या किताबों की दुकानों के नाम, पते, संपर्क नंबर और अन्य विवरण प्रदर्शित करने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी छात्र या उसके पिता को इन चीजों को लेने में कोई दिक्कत न हो।
इससे पहले दिल्ली की मंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक आतिशी ने शुक्रवार को कहा कि जहां शिक्षा विकास के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है, वहीं देशभर में अधिकतर बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच नहीं है। आतिशी ने यहां ‘इंडिया टुडे टीवी कॉन्क्लेव’ में कहा है कि भले ही नेता भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने के बारे में बात करते हैं लेकिन वैश्विक सूचकांक में हमको लेकर कई ”चिंताजनक बिंदु” हैं।
इस पर बोलते हुए उन्होंने आगे कहा है कि नागरिकों को चुनौतियों से पार पाने के लिए ”अपनी आवाज उठानी” चाहिए। उन्होंने कहा, ”एक ओर हम बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हैं, वहीं वैश्विक सूचकांक में हमको लेकर कई चिंताजनक बिंदु हैं। भारत, साल दर साल, वैश्विक स्थिति से नीचे जा रहा है। यह वह जगह है जहां भारतीय आवाज को सुनने और उठाने की जरूरत है।”