*धीरेन्द्र शास्त्री पर एफआईआर : उदयपुर में हिन्दू समाज का दिन भर प्रदर्शन FIR वापस लेने पर अड़े प्रदर्शनकारी दिन भर रहा ट्रैफिक जाम
नई दिल्ली संवाददाता विमल चौहान
उदयपुर में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री पर भड़काऊ भाषण का मामला दर्ज होने के बाद हिन्दू समाज में रोष व्याप्त हो गया है। मामला दर्ज करने के विरोध में उदयपुर शहर के युवाओं ने अचानक जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। युवाओं ने ‘मैं हूं बागेश्वर’ के नारे लगाए और सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया। कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन की सूचना जैसे-जैसे शहर में फैली, वैसे-वैसे कई लोग और कलेक्ट्रेट पहुंचना शुरू हो गए। पुलिस प्रशासन को चौराहों पर यातायात व्यवस्था में तब्दीली करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने उदयपुर और राजसमंद में शास्त्री पर दर्ज मुकदमा हटाने तथा केलवाड़ा में गिरफ्तार किए गए युवकों को तुरंत रिहा करने की मांग की। युवकों को अदालत के आदेश पर शाम को जमानत पर रिहा कर दिया गया। हिन्दू समाज ने शास्त्री पर की गई एफआईआर निरस्त करने या एफआर तुरंत नहीं लगाने पर पूरे देश में आंदोलन का ऐलान किया है।
दरअसल, भारतीय नववर्ष को लेकर 23 मार्च शाम को उदयपुर के महाराणा भूपाल स्टेडियम में हुई विशाल धर्मसभा में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री ने कुम्भलगढ़ को लेकर कहा था कि कुम्भलगढ़ किले में हरे झंडे हटाने हैं और भगवा झंडा लगाना है। उदयपुर की हाथीपोल थाना पुलिस ने इस बयान को धार्मिक हिंसा भड़काने वाला बयान माना और स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया। दूसरी ओर शुक्रवार को राजसमंद जिले के केलवाड़ा थाने में पांच युवकों को कुम्भलगढ़ पर भगवा झंडा फहराने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसे पुलिस ने धीरेन्द्र शास्त्री के भड़काऊ बयान का असर मानते हुए वहां भी मामला दर्ज किया था।
पुलिस की इस कार्रवाई से हिन्दू समाज में रोष व्याप्त हो गया। शनिवार सुबह 11 बजे अचानक कई युवा जिला कलेक्ट्रेट पहुंच गए। इनमें बड़ी संख्या में युवतियां भी शामिल थी। देखते ही देखते संख्या बढ़ती गई और प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट के पास कोर्ट चौराहे पर पड़ाव डाल लिया और वहीं प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। यातायात रोकने के प्रयास के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से धक्कमपेल भी हुई। प्रदर्शनकारियों के सड़क पर ही बैठ जाने से देहलीगेट से जिला कलेक्ट्रेट होते हुए कोर्ट चौराहा मार्ग पर यातायात पूर्ण रूप से बंद हो गया। दोपहर बाद इस प्रदर्शन में उदयपुर के संतजन भी पहुंच गए। संतों ने युवाओं को संबोधित भी किया। दोपहर करीब 4 बजे बाद जब केलवाड़ा में गिरफ्तार युवकों को जमानत पर रिहा करने की सूचना आई तब तक सभी वहीं डटे रहे।
हिन्दू समाज के विभिन्न संगठनों की ओर से जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपे गए। ज्ञापन में सारे मामले को गलत और इसे सरकार के इशारे पर किया गया कृत्य बताया गया। उन्होंने इसे संत समाज का अपमान बताया और मुकदमा वापस लेने की मांग की गई। उन्होंने सवाल उठाया कि कुम्भलगढ़ पर कोई भगवा ध्वज फहराए तो वह अपराध की श्रेणी में कैसे आएगा, भगवा पताका तो शौर्य का प्रतीक है और कुम्भलगढ़ शौर्य की धरती। कुछ समाज-संगठनों ने यह भी कहा है कि कुम्भलगढ़ के बारे में कोई गलत बयान नहीं दिया गया। वहां पर लगातार अवैध कब्जे-अतिक्रमण बढ़ रहे हैं, इसका सर्वे करवा लिया जाना चाहिए, सारी हकीकत सामने आ जाएगी। कुम्भलगढ़ ऐतिहासिक धरोहर है और देश का पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग उसके संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। वहां पर अवैध कब्जे और अतिक्रमणों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
नगर निगम उप महापौर पारस सिंघवी और हिन्दू जागरण मंच के रविकांत त्रिपाठी ने मीडिया से चर्चा में आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पांचों युवकों को भी गलत नीयत से मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया और उसमें धीरेन्द्र शास्त्री को भी षड्यंत्रपूर्वक फंसाया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने शासन के दबाव में यह कदम उठाया जिससे सम्पूर्ण हिन्दू समाज आहत है और निंदा करता है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही एफआईआर निरस्त नहीं की गई तो देश भर में आंदोलन किया जाएगा।