अगामी दो वर्ष में दिल्ली के तीनों कूड़े के पहाड़ खत्म कर देंगे : नितिन गडकरी गलगोटिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोले – नौकरी मांगने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनें युवा
नई दिल्ली संवाददाता नरेंद्र ठाकुर
दो वर्ष में दिल्ली के तीनों कूड़े के पहाड़ खत्म कर देंगे : नितिन गडकरी गलगोटिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोले – नौकरी मांगने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनें युवा गडकरी ने विश्वविद्यालय को कृषि और पशुपालन क्षेत्र में शोध के लिए किया प्रेरित विवि ने नितिन गडकरी को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में काम करने के लिए डॉक्टरेट की उपाधि दिल्ली की बड़ी समस्या अगले दो वर्षों में खत्म होने वाली है। गलगोटिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दो सालों में दिल्ली में कूड़े के तीन पहाड़ों को खत्म कर देंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से शोध करने का आह्वान किया और साथ ही कहा कि वह भविष्य में नौकरी देने वाले बनें, न कि नौकरी लेने वाले। विश्वविद्यालय में उनको मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने विद्यार्थियों से मुखातिब होते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था और विकास ही नहीं, पर्यावरण भी देश के लिए उतना ही जरूरी है। पानीपत से दिल्ली तक बनाए 76 किमी एक्सप्रेसवे में 20 लाख टन कूड़े का उपयोग किया है। अहमदाबाद एक्सप्रेसवे में भी करीब 20 लाख टन सॉलिड वेस्ट का उपयोग किया गया है। सड़क निर्माण कार्य में कूड़े का उपयोग कर उनका लक्ष्य है कि आने वाले दो वर्ष में दिल्ली के कूड़े के तीन पहाड़ को समतल कर सकेंगे। हालांकि स्थानीय स्तर पर भी सड़क निर्माण में इस तरह के कचरे का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
नितिन गडकरी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत और नंबर एक इकोनॉमी बनने के लिए भारत को प्रत्येक क्षेत्र में विकास की आवश्यकता है। पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनाॅमी बनाने के लिए युवाओं का बहुत बड़ा योगदान होगा। व्यापार और उद्योग, स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, में भारत को नंबर एक बनाना होगा। ग्राउंड रियलिटी में बड़ा अंतर है। वर्तमान समय में भारत के विकास में 22 से 24 प्रतिशत उत्पादन में, सर्विस सेक्टर में 54 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र में 12 प्रतिशत की भागीदारी है, जबकि देश के 65 प्रतिशत लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं और आउटपुट केवल 12 प्रतिशत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के 124 जिले आज भी सामाजिक, शिक्षा और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, ऐसे में उनको विकास की राह पर लाना है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि इस पर रिसर्च कर सकते हैं और कृषि क्षेत्र को विकास की राह पर लाकर देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों के बीच आकर खुशी जताई और डी-लिट उपाधि के लिए गलगोटिया विश्वविद्यालय के प्रबंधन का आभार व्यक्त किया। इस दौरान विवि के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया, सीईओ ध्रुव गलगोटिया और कुलपति के मल्लिकार्जुन बाबू मौजूद रहे।
अन्नदाता को ऊर्जादाता के बाद बिटुमिन दाता बनाएंगे
केंद्रीय मंत्री ने पराली पर उपाय और किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें दीर्घकालिक उपाय देते हुए बिटुमिन दाता बनाने की घोषणा भी की। उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां पर बड़ी मात्रा में गन्ना और धान होता है, ऐसे में किसानों को पराली से बचाकर उनकी आय बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पानीपत में पराली का उपयोग कर प्रतिदिन एक लाख लीटर बायो इथेनॉल और 150 टन बायो बिटुमिन निकाला जा रहा है। नई तकनीक से पराली से 70 प्रतिशत बायो बिटुमिन और 30 प्रतिशत बायो चार बनाएंगे। उन्होंने अन्नदाता को ऊर्जादाता के साथ-साथ बिटुमिन दाता भी नाम दिया।
शोषित और पिछड़ों का ध्यान रखना जरूरी
नितिन गडकरी ने विद्यार्थियों से कहा कि केवल आर्थिक प्रगति ही नहीं जरूरी है। हमें सामाजिक रूप से भी शोषित और पिछड़ों के लिए सोचना चाहिए। हमें अपने जीवन में सुशिक्षित और संस्कारवान भी बनना है। शिक्षा और संस्कार दोनों ही बहुत जरूरी है, जो संस्कार हमें अपने परिवार से मिले हैं, हमें सदैव उनका अनुकरण करना है। रामायण और महाभारत हमारी संस्कृति की महान धरोहर हैं हमें जीवन में उनके उपदेशों को अपनाना चाहिए।