500 करोड़ की कंपनी, 15 हजार करोड़ का घोटाला; बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी के नाम बस 1 बाइक

500 करोड़ की कंपनी, 15 हजार करोड़ का घोटाला; बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी के नाम बस 1 बाइक

नई दिल्ली संवाददाता पवित्रा शर्मा

15 हजार करोड़ के बाइक बोट घोटाले के मुख्य आरोपी और मालिक संजय भाटी के नाम पर सिर्फ एक बुलेट मोटर साइकिल है। इसके अलावा उसके नाम पर कोई भी चल या अचल संपत्ति नहीं है।यह दावा संजय भाटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करने जा रहे उनके वकील पवन कसाना ने किया है। उन्होंने यह बात आपके ‘हिन्दुस्तान’ अखबार से हुई बातचीत में बताई।

वकील पवन कसाना ने बताया कि वो सुप्रीम कोर्ट में 21 मार्च को अपना जवाब दाखिल करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संजय भाटी के अपने नाम पर कुछ नहीं है, लेकिन उसकी कंपनी के नाम पर उसके जेल जाने तक सवा दो सौ करोड़ की संपत्ति थी, जिसकी वर्तमान कीमत 500 करोड़ से अधिक है। इसका पूरा बयोरा वह अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट को दे रहे हैं। इस संपत्ति को बेच कर पीड़ितों का पैसा दिया जा सकता है।

कंपनी के नाम पर 60 करोड़ की कार और मोटर साइकिल
: संजय के वकील के अनुसार, बाइक बोट और गर्वित कंपनी के नाम पर 60 करोड़ से अधिक की कार और मोटर साइकिल हैं। इनमें से करीब 41 कार जांच एजेंसियों ने जब्त कर रखी हैं। 130 कार और करीब सात हजार मोटरसाइकिल विभिन्न लोगों के पास हैं। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए वह अर्जी दे चुके हैं।

उनका दावा है कि इस प्रकरण में जो मुकदमें दर्ज हुए हैं उनमे अभी तक करीब 85 करोड़ ही कंपनी को देने हैं। इसमें उत्तर प्रदेश में दर्ज 118 मुकदमों में सिर्फ 40 करोड़ का लेन-देन हैं और अन्य मामलों में 45 करोड़ का लेन-देन है। उन्होंने बताया कि 21 मार्च को वह सुप्रीम कोर्ट के सामने निवेशकों का पैसा वापिस लौटाने के लिए दो प्लान रखने जा रहे हैं।

पैसा लौटाने के लिए दो प्लान देंगे

  1. सुप्रीम कोर्ट अपनी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाए और उनकी संपत्ति को नीलाम कर निवेशकों का पैसा लौटा दिया जाए।
  2. सुप्रीम कोर्ट कंपनी के मालिक संजय भाटी को कुछ माह की अंतरिम जमानत दे और इस अवधि में वह संपत्ति को बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाएंगे। सुप्रीम कोर्ट मांग चुका है रुपये वापसी का प्लान

सुप्रीम कोर्ट ने बाइक बोट कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह बताए कि वह पीड़ितों का पैसा कैसे वापस लौटाएंगे। इसके अलावा ईडी और अन्य जांच एजेंसियों को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि कंपनी के पीड़ितों की कितनी संपत्ति है और आरोपियों की संपत्तियों का भी बयोरा मांगा है। इस प्रकरण में 30 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट की प्रक्रिया हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने अन्य राज्यों को भी नोटिस जारी कर उनके यहां दर्ज मुकदमों के संबंध में जानकारी मांगी है ।

*निवेशकों को सुनवाई से उम्मीद

  • पीड़ितों की ओर से पैरवी कर रहे सुरेश भट्ट ने बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दो केस किए हैं, जिसमें एक कंपनी मालिक संजय भाटी और अन्य आरोपियों के खिलाफ है, जबकि दूसरा जांच एजेंसियों को पार्टी बनाकर किया है। इसमें पीड़ितों का पैसा वापस मांगा गया है। इनमें पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने 12 मार्च को बाइक बोट के कोट गांव स्थित कार्यालय पर बैठक की थी। इसके बाद 400 पीड़ितों के वकालतनामें उनके पास आ चुके हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में लगाया गया है। उन्हें 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से काफी उम्मीदे हैं। 15 करोड़ के GPF घोटाले में हुए चौंकाने वाले खुलासे, जेल अधीक्षक को लिया गया हिरासत में

केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में कर्मचारियों के जीपीएफ की राशि चपत करने का मामला अब और तूल पकड़ने वाला है, क्योंकि यह घोटाला 15 करोड़ तक पहुंच गया है.इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि जेल अधीक्षक उषा राज की भी भूमिका की जांच हो रही है. पुलिस ने पूछताछ के लिए जेल अधीक्षक को हिरासत में ले लिया है. दूसरी तरफ पुलिस भगोड़े जेल प्रहरी पर भी इनाम घोषित कर सकती है.

उज्जैन की केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में कर्मचारियों को जानकारी तक नहीं लग पाई और उनके खाते से धीरे-धीरे जीपीएफ की राशि दूसरे खातों में ट्रांसफर होती चली गई. इस प्रकार यह घोटाला लगभग 15 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है. उज्जैन एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल के मुताबिक इस मामले में भैरवगढ़ थाना पुलिस ने कई धाराओं में अपराध दर्ज कर लिया है. इस मामले में जेल प्रहरी रिपुदमन और शैलेंद्र सिंह सिकरवार के खिलाफ नामजद एफआईआर हुई है, जबकि उक्त मामले में और भी आरोपी बढ़ सकते हैं.

*चौंकाने वाले खुलासे हुए


  • इस पूरे घोटाले में कई ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिसे देखकर पुलिस विभाग के आला अधिकारी भी दंग रह गए. इस पूरे मामले में फर्जी हस्ताक्षर का भी उपयोग किया गया. कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षर और जीपीएफ निकालने के फर्जी दस्तावेज भी बनाए गए. कर्मचारियों द्वारा जब अपनी जीपीएफ राशि के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई, तो उस समय सरवर डाउन होने का बहाना बनाकर जेल प्रहरी रिपुदमन उन्हें चलता कर दिया.

इसके अलावा कुछ कर्मचारियों को खाते की फर्जी जानकारी भी दी गई. एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल के मुताबिक अभी तक जांच के दौरान मुख्य आरोपी रिपुदमन का नाम सामने आया है, उसकी गिरफ्तारी को लेकर जल्द ही इनाम घोषित किया जाएगा. इस मामले में अभी तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

जेल अधीक्षक से हो रही है पूछताछ

केंद्रीय जेल भेरवगढ़ की पूर्व अधीक्षक उषा राज से थाने में पूछताछ की जा रही है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत बकरवाल के मुताबिक उनसे भैरवगढ़ जेल परिसर में ही उनके ऑफिस में पूछताछ की जा रही थी. हालांकि उनका असहयोगात्मक रवैया रहा, जिसके चलते उन्हें पुलिस थाने लाकर पूछताछ की गई. उनके बयान भी दर्ज किए जा रहे हैं, जिसके बाद तथ्यों के आधार पर आगे कार्रवाई होगी. एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल के मुताबिक राशि निकालने के लिए जेल अधीक्षक की आईडी का इस्तेमाल भी हुआ है. ऐसे में उनकी भूमिका की जांच भी की जा रही है.

सरकारी कर्मचारियों की राशि असुरक्षित

उज्जैन की केंद्रीय जेल भेरूगढ़ के कर्मचारियों की राशि उनके खाते से निकल गई और उन्हें खबर तक नहीं लग पाई. इस घटना ने सभी को चौंका दिया. सरकारी कर्मचारी इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि उनकी राशि सुरक्षित है या नहीं? इस पूरे घटनाक्रम के बाद जेल मुख्यालय भोपाल में पत्र लिखकर सभी जेल अधीक्षक को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वे अपनी आईडी की पूरी तरीके से गोपनीयता और सुरक्षा करें.

यदि कोई भी लापरवाही से राशि की हेराफेरी हुई तो इसकी जिम्मेदारी जेल अधीक्षक की भी रहेगी. इस पूरे मामले में आरोपी रिपुदमन के पकड़े जाने के बाद हो सकता है कि सरकार सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ निकालने की इस प्रक्रिया को और जटिल कर दे.